दून समेत समूचे उत्तराखंड में गर्मी बढ़ गई है और धीरे-धीरे पानी का संकट भी गहराने लगा है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति बाधित होने की शिकायतें मिल रही हैं। दून में भी बीते कुछ समय से कई इलाकों में पेयजल संकट मंडरा रहा है। लो प्रेशर, दूषित पानी से लेकर आपूर्ति बाधित होने की शिकायतें रोजाना मिल रही हैं। जल संस्थान के कंट्रोल रूम में रोजाना 23 से 30 शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। वहीं, जल संस्थान की कसरत भी बढ़ गई है। जल संस्थान ने हर साल दून में पेयजल संकट से जूझने वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने का दावा किया है।
यहां अक्सर रहता है पानी का संकट
शहर में करीब 120 ऐसे मोहल्ले और 15 के करीब बस्तियों में अक्सर पानी का संकट रहता है। इन चिह्नित क्षेत्रों के लिए विभाग ने वैकल्पिक प्लान बनाया है। प्लान के अनुसार जल संस्थान न केवल इन क्षेत्रों में टैंकरों से पानी की सप्लाई करेगा। जिन ट्यूबवेल से इन क्षेत्रों में पानी की सप्लाई होती है, वहां जनरेटरों की व्यवस्था भी की जाएगी। मानकों के हिसाब से शहरी क्षेत्र में 135 लीटर प्रति व्यक्ति और ग्रामीण क्षेत्र में 70 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत हकीकत यह है कि शहरी क्षेत्र में लोगों को 100 लीटर तो ग्रामीण क्षेत्रों में 50 लीटर ही पानी उपलब्ध हो रहा है। दून में वर्तमान में 283 ट्यूबवेल के साथ ही तीन नदी-झरने के स्रोत हैं। दून में अधिकांश पेयजल आपूर्ति ट्यूबवेल से ही होती है। गर्मी बढ़ते ही भूजल स्तर नीचे चला जाता है। ट्यूबवेल की क्षमता भी घटने लगती है। अन्य स्रोतों से भी पानी का प्रवाह घट जाता है। जल संस्थान ने चारों जोन उत्तर, दक्षिण, पित्थूवाला व रायपुर में 120 से अधिक मोहल्ले, 16 बस्तियां व कालोनियां ऐसी चिह्नित की हैं, जहां पिछले वर्षों में भी पेयजल की भारी किल्लत थी।
हालांकि, जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग के अनुसार विभाग की ओर से समय पर सभी तैयारियां कर ली गई हैं। फिलहाल कहीं भी पानी का संकट नहीं है। हर वर्ष की पेयजल समस्या को देखते हुए जोन वार प्लान तैयार किया है। इन क्षेत्रों की समस्या के समाधान के लिए आठ विभागीय टैंकरों सहित 30 किराये के टैंकरों और बिजली आपूर्ति बाधित होने पर नलकूप के संचालन के लिए 10 जेनरेटर की व्यवस्था है।