जिस डबल इंजन के बूते भाजपा ने विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की, नई सरकार के पहले बजट में उसका अक्स साफ नजर आया। कमजोर आर्थिकी के कारण केंद्र पर निर्भरता उत्तराखंड के लिए मजबूरी है और सरकार इस बात को बखूबी समझ भी रही है, लिहाजा बजट में केंद्रीय योजनाओं से अधिकाधिक लाभ लेने की रणनीति पर कदम बढ़ाए गए हैं।
विधानसभा चुनाव के समय के भाजपा के दृष्टि पत्र के वायदों की झलक बजट प्रविधानों में स्पष्ट रूप से दिख रही है। शहर से लेकर गांवों तक और महिलाओं से लेकर युवाओं, पूर्व सैनिकों, किसानों और कमजोर वर्ग के लिए बजट की पोटली में काफी कुछ है। एक तरह से धामी सरकार ने इस बजट के जरिये वर्ष 2024 के आम चुनाव के लिए जमीन तैयार करने की शुरुआत कर दी है।
केंद्र की प्राथमिकताओं के प्रति दृढ़ संकल्प:
उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद हुए पांचवें विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो-तिहाई बहुमत के साथ विजय पताका फहराई। यह पहला अवसर रहा, जब किसी राजनीतिक दल ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की।
युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा की इस जीत में सबसे बड़ी भूमिका रही उत्तराखंड में संचालित की जा रही केंद्रीय परियोजनाओं की। वर्ष 2017 में यहां भाजपा ने तीन-चौथाई से अधिक बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। इसके बाद केंद्र व राज्य में, दोनों जगह भाजपा सरकारों के होने का सीधा लाभ उत्तराखंड को मिला। पिछले पांच वर्षों के दौरान उत्तराखंड में इस डबल इंजन के सहारे एक लाख करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाएं संचालित हो रही हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा को सीधे तौर पर इसका लाभ मिला। यही कारण है कि इस बजट में धामी सरकार ने केंद्र की प्राथमिकताओं के प्रति अपने दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया है। भाजपा ने चुनाव के समय जो वायदे किए थे, उन्हें पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
महिला, युवा, पूर्व सैनिकों व किसानों का हितइस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक रही थी। इस समर्थन के लिए भाजपा सरकार ने बजट में नंदा गौरा योजना, मुख्यमंत्री घस्यारी महिला कल्याण योजना, मिशन शक्ति सहित कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट प्रविधान किए हैं। इसी तरह रोजगार व स्वरोजगार पर ध्यान केंद्रित कर सरकार ने युवा वर्ग को यह संदेश देने की कोशिश की कि वह उन्हें महज वोट बैंक की नहीं समझती। वह युवा वर्ग के भविष्य को संवारने को भी तत्पर है।
कृषि, बागवानी व किसानों के लिए बजट में किए गए प्रविधान इंगित कर रहे हैं कि सरकार ने इस वर्ग की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इनके उत्थान के लिए रणनीति तैयार की है। केंद्र की सीमांत सुरक्षा के प्रति चिंता को समझते हुए बजट में पांच जिलों चमोली, उत्तरकाशी, चम्पावत, ऊधमसिंह नगर व पिथौरागढ़ में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए विशेष प्रविधान बजट का हिस्सा हैं। पूर्व सैनिकों के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
सैन्य धाम, पूर्व सैनिकों के आश्रितों को कंप्यूटर प्रशिक्षण, एकमुश्त अनुदान व आवासीय सहायता, बलिदानी सैनिकों के आश्रित को सरकारी नौकरी जैसे प्रविधान बजट का अहम हिस्सा हैं।निकाय व लोकसभा चुनाव पर नजर उत्तराखंड में भाजपा वर्ष 2014 के बाद से अविजित स्थिति में है। भाजपा को लगातार दो लोकसभा चुनावों में पांचों सीटों पर जीत मिली है, तो दो विधानसभा चुनावों में भी पार्टी ने अपने इसी जोरदार प्रदर्शन को जारी रखा है। अब निकट भविष्य में धामी सरकार को दो चुनावी चुनौतियों से जूझना है।
इनमें से पहली है नगर निकाय चुनाव, जो अगले वर्ष के अंत में होंगे। पिछले निकाय चुनाव में भाजपा ही अव्वल रही थी। अधिकांश नगर निगमों के महापौर पदों पर भाजपा को जीत मिली। पार्टी इस प्रदर्शन को आगामी निकाय चुनाव में भी दोहराना चाहेगी। धामी सरकार की असली अग्निपरीक्षा होगी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में। सभी पांचों सीटों पर जीत की हैट्रिक मुख्यमंत्री धामी के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ा सवाल रहेगा। मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले बजट में धामी ने जिस तरह समाज के हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ करने की नीयत प्रदर्शित की है, उसके मूल में कहीं न कहीं इन दो चुनावों में पार्टी की अविजित स्थिति को बनाए रखने की भी मंशा है।