मसूरी। पहाड़ो की रानी मसूरी में भैयादूज का पर्व पूरे उत्साह व उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर बहनों ने भाइयों की पूजा कर तिलक लगाया व उनको नारियल भेट कर मिष्ठान खिला कर उनके दीर्घायु व स्वस्थ्य रहने की कामना की।
भैयादूज का पर्व भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें बहनों ने भाइयों के कलाई पर मंगल सूत्र बांधा तिलक किया व नारियल देकर उनकी दीर्घायु की कामना की। वहीं भाइयों ने भी बहनों की सुरक्षा का व समृद्धि का आशीर्वाद दिया। भारतीय संस्कृति के अनुसार भैयादूज की मुख्य कहानी यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है। इस कहानी के अनुसार, यमुना ने कई बार अपने भाई यमराज को भोजन के लिए बुलाया, लेकिन व्यस्तता के कारण वे नहीं आ पाए। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को, जब यमुना ने फिर से उन्हें बुलाया, तो यमराज अपनी बहन के घर गए। यमुना ने उनका बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। यमराज अपनी बहन के इस प्रेम से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उसे वरदान दिया कि इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाकर आदर-सत्कार करेगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा। इसी घटना के बाद से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा। इसके अलावा, एक और कहानी भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी है। नरकासुर राक्षस का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने उनका फूलों और मिठाइयों से स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक भी लगाया। इसी घटना के आधार पर भी भाई दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।
