उत्तराखंड में निर्मित 11 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। जिस पर राज्य के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने नौ कंपनियों के उत्पाद लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं। इसके अलावा कंपनियों को संबंधित दवाओं का स्टाक वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें, दवाओं की गुणवत्ता को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभियान चलाया हुआ है। जिसके तहत केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की ओर से देशभर की निर्माण इकाइयों में नियमित सैपलिंग की जा रही है। मार्च में 931 सैंपलों की जांच की गई। इसमें 864 सैंपल सही पाए गए। जबकि 66 फेल हुए, वहीं एक सैंपल मिस ब्रांडेड पाया गया। सीडीएससीओ ने मंगलवार को इस बाबत ड्रग अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड में 11 दवाओं के सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। जिन निर्माण इकाइयों के सैंपल फेल हुए हैं उनमें दो देहरादून और अन्य हरिद्वार जनपद की हैं। एफडीए के अपर आयुक्त एवं औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि इस संबंध में रिपोर्ट प्राप्त हो गई है।
इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित कंपनियों के उत्पाद लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं। साथ ही दवाओं का स्टाक बाजार से वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। औषधि निरीक्षक यह सुनिश्चित करेंगे कि संबंधित बैच की दवाओं का विक्रय न किया जाए।
इन दवाओं के नमूने हुए फेल
दून की एसवीपी लाइफ साइसेंज में निर्मित डाइक्लोमाइन हाइड्रोक्लोराइड, जेंटामाइसिन व मिथाइलकोबालामिन इंजेक्शन, मैनकेयर लेबोरेटरीज की को-ट्रिमोक्साजोल सिरप, हरिद्वार की कैवेंडिश बायो फार्मा में निर्मित ओमेप्राज़ोल डोम्पेरिडोन टैबलेट, टेक्निका लैब्स और फार्मा की एसीक्लोफेनाक पेरासिटामोल सेराटियोपेप्टिडेज टैबलेट, जेनेका हेल्थकेयर की लेवोसालबुटामोल एम्ब्रोक्सोल गुइफेनसिन सिरप, मैस्कोट हेल्थ सीरीज की लैक्टिक एसिड बेसिलस टैबलेट, स्काईमैप फार्मास्यूटिकल की मेटोप्रोलोल टैबलेट, जेबी रेमेडीज की ओफ्लाक्सासिन ओर्नीडाजोल टैबलेट, आर्किड बायोटेक की लैक्टोजर्म कैप्सूल।