वार्ड सदस्य चुनाव में मचा घमासान, उत्तराखंड की 117 पंचायतों में प्रत्याशियों की भरमार..

उत्तराखंड

ग्राम पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही, सहकारी समितियों के डायरेक्टर पद के उम्मीदवार सक्रिय हो गए हैं। त्रिस्तरीय चुनाव के दौरान नामांकन न होने से 801 वार्ड सदस्य पद खाली रह गए थे। निर्वाचित प्रधानों को वार्ड सदस्य पदों के लिए दावेदारों के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो रही है। सहकारी समितियों के चुनावों का कार्यक्रम जारी हो चुका है, और नवंबर के अंत तक ग्राम पंचायत चुनाव कराने के निर्देश हैं।


ग्राम पंचायत चुनावों को लेकर बिगुल बज चुका है। वहीं, निर्वाचित प्रधानों को वार्ड सदस्य पदों पर दावेदारों का संतुलन साधने में पसीने छूट रहे हैं। उधर, सहकारी समितियों में डायरेक्टर पदों पर चुनाव लड़ने वाले दावेदार पंचायत वार्ड के चुनावों को हवा दे रहे हैं। ऐसे में इन ग्राम पंचायतों में राजनीतिक सरगर्मी चरम पर है।

 

सहकारी समितियों के डायरेक्टर पदों के दावेदार पंचायत चुनावों को दे रहे हवा

 

प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनावों को लेकर कार्यक्रम जारी हो चुका है। 10 नवंबर को समिति कार्यालयाें पर अनन्तिम मतदाता सूची के प्रदर्शन के साथ चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वहीं, नवंबर माह के अंत तक ग्राम पंचायत चुनाव कराने की निर्देश दिए गए हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि बीते दिनों जिले की 409 ग्राम पंचायतों में से 117 पंचायतों में वार्ड सदस्यों के 801 पदों पर नामांकन नहीं होने से खाली रहे गए थे। जबकि, 2596 वार्डों पर सदस्य निर्वाचित हो गए थे। ऐसे में दो तिहाई काेरम पूरा नहीं होने के कारण जीतने के बाद भी 117 प्रधान शपथ नहीं ले सके। वहीं, अब वार्ड सदस्य पदों पर बड़ी संख्या में लोग अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

त्रिस्तरीय चुनाव के समय नामांकन नहीं होने से वार्ड सदस्याें के 801 पर रह गए थे खाली

उधर, सहकारी समितियों में डायरेक्टर पदों पर जीत पक्की करने की जुगत में दावेदार पंचायत वार्ड का चुनाव लड़ने की मन में ठाने बैठे लोगों को जीताने का भरोसा दे रहे हैं। इससे ग्राम प्रधानों की बेचैनी बढ़ रही है। दरअसल, त्रिस्तरीय चुनाव के समय चुनाव के कारण प्रधान किसी तरह का विरोध नहीं कर पाए। लेकिन, अब विरोधी खेमे के सदस्यों का वार्डों पर कब्जा होने से परेशानी बढ़ सकती है।

प्रधान अपने खेमे के लोगों को वार्ड सदस्य पदों पर काबिज करना चाहते हैं लेकिन समिति चुनावों के प्रधानों के लिए बड़ी उलझन बन रही है। डायरेक्टर और वार्ड सदस्याें में से किसका समर्थन और किसका विरोध करे प्रधानाें को सुझ नहीं पा रहा है।

चकराता और कालसी में सबसे अधिक उटापटक

 

जिले में सबसे अधिक विकासखंड चकराता की 117 में से 44 और कालसी की 111 में 35 पंचायतों में दो तिहाई कोरम पूरा नहीं है। ऐसे में सबसे अधिक पंचायत वार्ड सदस्यों के लिए यहां पर सबसे अधिक उटापटक हो रही है। जबकि, डोईवाला की 38 में से 4, रायपुर की 40 में से 21, सहसपुर की 50 में से 4 और विकासनगर की 53 में से 9 पंचायतों में पंचायत वार्ड सदस्यों के चुनावों को लेकर सरगर्मी चरम पर है।

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