मसूरी। चक्कर एवं मसूरी हेरिटेज सेंटर के तत्वाधान में पहला लंढौर लिटरेचर एंड आर्ट उत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आये लेखकों ने अपने लेखन के बारे में जानकारी दी व प्रश्नों का उत्तर दिया। इस मौके पर प्रकृति पर आघारित चित्रकला प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था जिसमें स्कूली छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया व अपनी कल्पना को केनवस पर उतारा। साथ ही वेस्ट से बनी वस्तुओं को भी प्रदर्शित किया गया।

छावनी क्षेत्र के प्रकृति के बीच देवदार स्टेट में पहला लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया गया, जिसमें मसूरी व बाहर से आये लेखकों, कवियों ने अपनी रचनाओं के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर उनसे सवाल भी किए गये जिसका उन्होंने उत्तर दिया। लिटरेचर फेस्टिवल में कुणाल नारायण उनियाल ने अपनी कविताओं को पाठ किया वहीं शिखा सकलानी मालवीय ने उनसे उनके साहित्य के बारे में जानकारी ली। मसूरी एंड द यूनिफार्म पर पूर्व डीजीपी अनिल रतूड़ी ने अपना संबोधन दिया व प्रेरणा रतूडी ने उनसे विभिन्न जानकारी ली। द कंटेंपररी अर्जेसी पर केएम पनिकर, नारायणी बासु, व करन माधोक ने अपने विचार रखे, द क्रिएटिव प्रोसेस पर एएम गौतम, सिद्धाथ कपिला, व करण माधोक ने विचार रखे। मसूरी ऑफ जानलेंग पर अमित राजन, एवं सुरभि अग्रवाल ने अपने विचार रखे। मसूरी के पास्ट, प्रजेंट व फयूचर पर सुरभि अग्रवाल व समीर सेवक ने अपने विचार रखे। इस मौके पर संयुक्ता शर्मा की लघु फिल्म बुज,बुज बी एंड जंगो एंड दोह का प्रदर्शन किया गया जिसमें ग्रामीण परिवेश के क्रिया क्लापों व अन्य विषयों को दर्शाया गया। जिसमें साहित्यकार स्व. सुरेंद्र पुंडीर का ग्रामीणों की दिनचर्या पर दिया गया इंटरव्यू भी दिखाया गया। इस मौके पर कविता लेखन व आर्ट प्रतियोगिता भी आयोजित की गयी। वहीं आर्ट प्रदर्शनी पर स्टेरे शर्मा, चित्रकार शुभ दर्शनी, व देशना शर्मा ने अपने विचार रखे। फेस्टिवल के बारे में बताते हुए मसूरी हेरिटेज सेंटर की अध्यक्ष सुरभि अग्रवाल ने बताया कि मसूरी में यह पहला लिटरेचर सम्मेलन है, हमारा उददेश्य है कि मसूरी को पर्यटन व यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के साथ मसूरी के इतिहास व साहित्य के बारे में भी अवगत कराना है। उन्होंने कहाकि मसूरी साहित्य के क्षेत्र में बड़ा नाम रहा है यहां के कई साहित्यकार बड़े स्तर के रहे हैं। मसूरी की अपनी हेरिटेज व संस्कृति है, इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा उत्तराखंड व मसूरी के साहित्यकार भी आये है अभी यह छोटे स्तर पर किया है व आने वाले समय में बड़े स्तर पर किया जायेगा। इसके आयोजन में कई संस्थाओं का सहयोग लिया है। वहीं सम्मेलन के आयोजक व चक्कर के संपादक करण मधोक ने कहा कि इस सम्मेलन में करीब 16 लेखक आये है वहीं कई स्पीकर बुलाये है वहीं लघु फिल्म भी दिखायी जायेगी व लाइव म्युजिक का कार्यक्रम भी रखा गया है। हमारा उददेश्य यहां के लेखकों व बाहर से आये लेखक जिन्हें मसूरी से प्रेरणा मिली है उनको प्रमोट करना भी है, बाहर व यहां के लेखक आपस में मिलकर एक दूसरे के लेखन के बारे में जान सके। कार्यक्रम का संचालन लेखक राज बिजलवाण ने किया। इस मौके पर पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड राधा रतूड़ी, पूर्व आईजी मनोरंजन त्रिपाठी, पूर्व डीआईजी एसपी चमोली, सुनीता कुंडले, माधुरी चमोली, धीरेंद्र रतूड़ी, उर्मिला रतूड़ी, संयुक्ता शर्मा, अरविंद शर्मा, तान्या सैली सहित साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।
