पूर्व डीआईजी एसपी चमोली ने हिमालय के पर्यावरण की चुनौती से मिलकर लडने का आहवान किया

उत्तराखंड देहरादून/मसूरी

 

मसूरी। आईटीबीपी के रिटायर उप महानिरीक्षक, पर्यावरण प्रेमी, रीवर राफ्टर, लेखक, जिन्होंने पूरे हिमालय को अपने कदमों से नापा ऐसी विभूति एसपी चमोली ने आज हिमालय को बचाने के लिए उसकी सुरक्षा के लिए हिमालय दिवस मना रहे हैं लेकिन हिमालय के पर्यावरण व उसे बचाने, वहां की संस्कृति को बचाने की चुनौती सबके सामने है जिसके लिए सभी को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
हिमालय दिवस पर उन्होंने सभी को बधाई देते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं हिमालय में जन्मा हूं और मुझे पूरे हिमालय पूरब से पश्चिम तक पदारोहण व पर्वतारोहण का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि उन्होने पूरब से पश्चिमत तक उत्तराखंड, भूटान, हिमाचल, सिक्किम, नेपाल, लददाख, कराकोरम दर्रें तक पांच हजार से अधिक किमी तक पदयात्रा की व इस दौरान 106 बडे बडे दर्रों को पार किया जो दस हजार पांच सौ फीट से लेकर 21 हजार पांच सौ फीट तक को पार किया। इस दौरान पूरे हिमालय को देखने व उसे समझने का अवसर मिला। उस समय 45 वर्ष पूर्व के हिमालय व आज के हिमालय में बहुत अंतर आ गया है, व पर्यावरण में परिवर्तन आया है। बहुत बडे बडे, ग्लेश्यिर पीछे हो गये नदियां सूख रही हैं, व बडे बडे हिमालय की चोटियां जो वर्ष भर बर्फ से ढकी रहती थी अब कुछ समय ही बर्फ से ढकी रहती है।  जंगलों का कटान हो रहा है, जिससे पर्यावरण असंतुलित हो गया है इसका खामियाजा मानव जाति को चुकाना पडेगा। हिमालय की प्राकृतिक व सांस्कृतिक धरोहर भी समाप्ति के कगार पर है उस समय के लोगों के खान पान व आज के लोगों के खानपान में भी बडज्ञ परिवर्तन आया है। पहले उनका जीवन अपनी संस्कृति व प्रकृति से जुंडाव के कारण सुखी रहता था लेकिन आज प्रकृति व संस्कृति में बड़ा बदलाव आ गया है, आध्यात्म व देवी देवताओं को मानते थे व उनके स्थलों पर जाते थे, तब उनका स्वास्थ्य, देवों के प्रति आस्था प्रबल होने के कारण सुख समृद्धि रहती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। आज सबसे बड़ी चुनौती हिमालय की सुरक्षा व उसके पर्यावरण को बचाने की है, इसके लिए सभी को एक साथ मिलकर इसे बचाने का प्रयास करना चाहिए। वहीं हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को भी बचाना चाहिए। उन्हांने आहवान किया कि हिमालय को बचाने के साथ ही पर्यावरण को संरक्षित करने, वहां की बोली भाषा खानपान, रीति रिवाजों को बचाने का संकल्प लेना होगा।